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क्या साउथ में भाजपा की एंट्री के दरवाजे हमेशा के लिए बंद? कांग्रेस को मिलीं शर्मिला

जब पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे आए थे, तब कहा गया कि कांग्रेस अब साउथ में सिकुड़ कर रह गई है. वैसे हिमाचल में भी कांग्रेस की सरकार है लेकिन तेलंगाना की एकतरफा जीत ने बड़ा संदेश दिया. यह कांग्रेस के लिए जितनी बड़ी जीत साबित हुई, भाजपा के लिए उतना बड़ा संदेश भी कि अभी उसे दक्षिण में एंट्री के लिए लंबा रास्ता तय करना है. अगर आप जेहन में भारत का नक्शा सोचें और उसमें भाजपा शासित राज्यों को भगवा रंग में रंगे तो दिखेगा कि भाजपा पश्चिम और मध्य क्षेत्र के साथ पूर्वोत्तर में छाई हुई है, जबकि पंजाब-हिमाचल, बंगाल, ओडिशा से लेकर केरल तक विपक्ष शासित सरकारें चल रही हैं. कर्नाटक में भी कांग्रेस की सरकार है. जिस तरह बंगाल में भाजपा को निराशा मिली, उसी तरह तेलंगाना में भी दाल नहीं गली. अब लोकसभा चुनाव से ठीक पहले आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की बहन वाईएस शर्मिला ने कांग्रेस ने अपनी पार्टी को कांग्रेस में विलय कर दिया है. क्या इसे यह माना जाए कि शर्मिला के जरिए कांग्रेस ने भाजपा के मिशन साउथ को और मुश्किल बना दिया है?

भाजपा के मिशन साउथ पर इस घटनाक्रम का क्या असर होगा, इसे समझने के लिए यह जानना जरूरी है कि शर्मिला का राजनीतिक बैकग्राउंड क्या है. शर्मिला के जरिए कांग्रेस तेलंगाना ही नहीं, आंध्र प्रदेश की राजनीति में भी अपनी स्थिति मजबूत कर सकती है. शर्मिला अविभाजित आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत वाई. एस. राजशेखर रेड्डी की बेटी हैं. वह सीएम वाईएस जगन मोहन रेड्डी की छोटी बहन हैं. खबर है कि कांग्रेस में आने के बाद शर्मिला को जल्द ही राष्ट्रीय स्तर पर कोई पद दिया जा सकता है. शर्मिला ने तेलंगाना के चुनाव में कांग्रेस को अपना समर्थन देने की घोषणा की थी. तभी से माना जा रहा था कि वह कांग्रेस में आने वाली हैं. उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा था और कांग्रेस को बिना शर्त समर्थन दिया था जिससे बीआरएस के खिलाफ वोट न बंटे.

प्लेन क्रैश में पिता की मौत और…

हां, शर्मिला के पिता वाई एस राजशेखर रेड्डी दक्षिण में कांग्रेस के कद्दावर नेता थे. उन्होंने जो भी चुनाव लड़ा जीते. 2003 में उन्होंने तीन महीने तक 1500 किमी पदयात्रा की थी. उनके कारण ही कांग्रेस आंध्र में 2004 और 2009 के विधानसभा चुनाव जीती. 2009 में सितंबर के महीने में उनका प्लेन जंगल में क्रैश हो गया. जनता की सहानुभूति बेटे के साथ गई. हालांकि जगन मोहन ने कांग्रेस से अलग नई पार्टी बना ली. आगे कांग्रेस के लिए राह मुश्किल होती गई. आखिरकार 2019 में जगन मोहन रेड्डी प्रचंड जीत हासिल कर सीएम बने. उन्हीं की छोटी बहन को अब कांग्रेस बड़ी जिम्मेदारी देने वाली है.

आंध्र में कांग्रेस में जान फूंकेंगी!

कांग्रेस अपने दिवंगत नेता के काम के सहारे बेटी को लोकसभा चुनाव में आंध्र में कैंपेनिंग की कमान सौंप सकती है. जी हां, कांग्रेस नेतृत्व उन्हें आंध्र प्रदेश में पार्टी को पुनर्जीवित करने का काम दे सकता है. 2014 में आंध्र के विभाजन के बाद पार्टी का लगभग सफाया हो गया था. वह 2014 और 2019 में आंध्र प्रदेश में एक भी विधानसभा या लोकसभा सीट जीतने में विफल रही और उसका वोट शेयर दो प्रतिशत से भी कम हो गया. कर्नाटक और हाल में तेलंगाना की जीत से उत्साहित कांग्रेस शर्मिला के पिता और दिवंगत मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी की विरासत का सहारा लेकर आंध्र कांग्रेस में नई जान फूंकने की उम्मीद कर रही है. आंध्र प्रदेश में विधानसभा चुनाव लोकसभा के साथ ही अप्रैल-मई में होने हैं.

शर्मिला ने 2019 के चुनावों में भाई की पार्टी वाईएसआरसीपी (वाईएसआर कांग्रेस) के लिए प्रचार किया था. हालांकि भाई के साथ मतभेदों के बाद 2021 में शर्मिला ने वाईएसआरटीपी बना ली. उन्होंने तेलंगाना में पदयात्रा भी की, लेकिन परिणाम उम्मीद के मुताबिक नहीं रहे. अब वह कांग्रेस में आ गई है.

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