‘डिप्रेशन में एकनाथ शिंदे.. मुंबई नहीं सतारा में गुजार रहे दिन’, सामना में उद्धव ठाकरे का दावा

महाराष्ट्र की राजनीति ऐसी है कि उसकी चर्चा जा ही नहीं रही है. अब महायुति सरकार के गठन के बाद भी ऐसा लग रहा है कि वहां राजनीतिक अस्थिरता जारी है. सरकार गठन के बाद मंत्रिमंडल विस्तार और विभागों के बंटवारे में ही काफी समय लग गया. अब कई मंत्रियों की तरफ से अभी विभागों को ज्वाइन ना करने में हो रही देरी लगातार सवाल खड़े कर रही है. इसी बीच शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट के मुखपत्र सामना ने उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को लेकर एक बड़ा दावा किया है. सामना ने लिखा है कि शिंदे डिप्रेशन में हैं और अपना ज्यादातर समय सातारा के अपने गांव में बिता रहे हैं. सामना ने यह तक कह दिया कि उनका यह व्यवहार राज्य की राजनीतिक स्थिति और सरकार के कामकाज पर कई सवाल खड़े कर रहा है.
सरकार गठन के बाद भी समस्याएं?
दरअसल, 25 नवंबर को महायुति सरकार के 39 मंत्रियों ने शपथ ली, लेकिन सामना का दावा है कि इसके एक महीने बाद भी सरकार पूरी तरह कार्यशील नहीं हो पाई है. मंत्रियों के बीच विभागों को लेकर नाराजगी बनी हुई है. सामना ने लिखा है कि 9 मंत्रियों ने अभी तक कार्यभार नहीं संभाला है, जबकि कई मंत्री नए साल के जश्न के लिए छुट्टियों पर चले गए हैं. पालक मंत्री के चयन और मंत्रालय के महकमे तय करने में भी खींचतान जारी है. इस बीच, कुछ मंत्री मनपसंद विभाग न मिलने से नाराज हैं.
क्या शिंदे नाराज? सामना के जरिए उद्धव ने क्या कह दिया
असल में सामना का दावा है कि शिंदे मानसिक रूप से तनावग्रस्त हैं और सातारा के दरे गांव में रहते हुए अमावस्या के दिन खेतों में राष्ट्र कार्य की अग्नि प्रज्वलित करते हैं. मुखपत्र ने इसे अप्रत्यक्ष रूप से सरकार की नाकामी और नेतृत्व की कमजोरी से जोड़ा. दूसरी ओर, उपमुख्यमंत्री अजीत पवार को लेकर सामना ने तंज कसा कि वे अपने विभागों से पूरी तरह संतुष्ट हैं और चारों उंगलियां घी में हैं.
मंत्रिमंडल और प्रशासन पर सवाल
सामना ने राज्य सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि मंत्रिमंडल गठन के बाद भी मंत्रियों ने काम शुरू नहीं किया है. उन्होंने आरोप लगाया कि मंत्रियों को मलाईदार महकमे नहीं मिलने से मंत्रालय का माहौल दमघोंटू बन गया है. इसके अलावा, यह सरकार हिंदुत्ववादी होने का दावा करती है, लेकिन प्रशासन अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार चल रहा है.
जनता और सरकार के बीच निराशा
सामना ने महायुति सरकार को ‘महाराष्ट्र के लिए अभिशाप’ बता दिया और कहा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के पास भी मंत्रियों को अनुशासित करने का साहस नहीं है. जनता इस अस्थिरता से परेशान है और महायुति के तीनों नेताओं फडणवीस, शिंदे और पवार पर सवाल उठाए जा रहे हैं. फिलहाल एकनाथ शिंदे डिप्रेशन में हैं या नहीं हैं वो तो खुद ही बताएंगे लेकिन महाराष्ट्र की राजनीति अभी भी चर्चा का विषय बनी हुई है.