अमेरिका ने कहा- रूस के साथ तनाव के बीच भारत से रिश्तों पर असर नहीं, चीन के रवैये पर भी जताई चिंता

बीते दिनों UN सुरक्षा परिषद (UN Security Council) में रूस-यूक्रेन संकट (Russia-Ukraine Conflict) पर अमेरिका समर्थित प्रस्ताव पर मतदान से भारत के किनारा करने के बाद जारी अटकलों पर अमेरिकी विदेश विभाग (US State Department) ने विराम लग दिया है. अमेरिकी विदेश विभाग प्रवक्ता ने कहा कि यूएन में क्या रुख रखना है यह भारत का फैसला है. हम भारत, चीन समेत दुनिया के कई देशों के संपर्क में हैं. हम सभी को बता रहे हैं कि यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रामक कार्रवाई का सभी पर असर होगा.
ची फबाओ को ओलंपिक टॉर्च दिए जाने पर
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि जहां तक सवाल भारत और चीन के बीच सीमा तनाव का है, अमेरिका दोनों देशों के बीच शांतिपूर्ण समाधान के पक्ष में है. वहीं पड़ोसियों को धमकाने वाले चीन के रवैये को लेकर हम अपनी चिंताएं जता चुके हैं. साथ ही हम साझा हितों और मूल्यों की रक्षा के लिए हिंद प्रशांत क्षेत्र के सभी मित्रों के साथ खड़े हैं.
भारत के समर्थन में आये यूएस के कई सांसद
गौरतलब है कि अमेरिकी विदेश विभाग के अलावा अमेरिका के अन्य वरिष्ठ सांसदों ने 2020 में गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों पर हमला करने वाली कमान का हिस्सा रहे पीएलए सैनिक को बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक का मशाल धारक चुनने को गुरुवार को ‘शर्मनाक’ और उकसाने वाले घटना बताया.
अमेरिकी सीनेट के विदेश मामलों की समिति के सदस्य व रिपब्लिकन सीनेटर जिम रिस्च ने कहा कि अमेरिका भारत की संप्रभुता का समर्थन जारी रखेगा.
जिम ने ट्वीट किया, ‘‘यह शर्मनाक है कि बीजिंग ने ओलंपिक 2022 मशाल धारक ऐसे व्यक्ति को चुना जो उस सैन्य कमान का हिस्सा था जिसने 2020 में भारत पर हमला किया था और जो उइगर मुस्लिमों का नरसंहार कर रहा है. अमेरिका उइगर की स्वतंत्रता और भारत की संप्रभुता का समर्थन जारी रखेगा.’’
भारत ने बीजिंग ओलंपिक का किया बहिष्कार
आपको बता दें कि नयी दिल्ली में भारत ने गुरुवार को घोषणा करते हुये कहा कि बीजिंग में भारतीय दूतावास के प्रमुख 2022 शीतकालीन ओलंपिक के उद्घाटन या समापन समारोह में हिस्सा नहीं लेंगे क्योंकि चीन ने गलवान घाटी झड़प में शामिल सैन्य कमांडर को इस प्रतिष्ठित खेल प्रतियोगिता का मशाल धारक बनाकर सम्मानित किया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने चीन के इस कदम को ‘खेदजनक’ करार दिया था.