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बाभन के चूड़ा, यादव के दही, बिहार में उछला नया नारा, RJD के नए सोशल इंजीनियरिंग से बढ़ेगी BJP की टेंशन?

बिहार में परशुराम जंयती से ठीक पहले एक नए नारे ने राजनीतिक गलियारों में हलचल पैद कर दी है। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के कुछ नेताओं और कार्यकर्ताओं की ओर से उछाले गए इस नए नारे को पार्टी की नई सोशल इंजीनियरिंग के रूप में देखा जा रहा है। MY फैक्टर के दम पर पिछले कई चुनावों में जीत दर्ज करने में नाकाम रही पार्टी की नजर अब ब्राह्मण और भूमिहारों पर है, जो लंबे समय से भाजपा के कट्टर समर्थक माने जाते हैं।

आरजेडी के नेता और कार्यकर्ता परशुराम जंयती को इस बार काफी धूमधाम से मनाने की तैयारी में हैं, जिसे ब्राह्मणों को खुश करने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है। इतना ही नहीं एक नया नारा भी दिया गया है, बाभन (ब्राह्मण) के चूड़ा, यादव के दही, दुनू मिली तब बिहार में सब होई सही। हाल ही में एमएलसी चुनाव के दौरान आरजेडी को भूमिहार बिरादरी का अच्छा साथ मिला था। अब पार्टी की नजर ब्राह्मणों पर है, जिनकी बिहार में करीब 6 फीसदी आबादी है। ब्राह्मणों की आबादी भले ही बहुत ज्यादा ना हो, लेकिन शिक्षा और सामाजिक स्तर पर ये काफी प्रभावशाली हैं। इन्हें ‘ओपिनियन मेकर्स’ के तौर पर भी देखा जाता है।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि असल में आरजेडी को इस बात का अहसास हो चुका है कि सत्ता में आने के लिए उसे समाज के सभी वर्गों के सहयोग की जरूरत है। ‘यादव-मुस्लिम’ टैग की वजह से कई जातिगत समूह एनडीए सरकार से नाराजगी के बावजूद भी आरजेडी को वोट नहीं करते हैं। यह भी कहा जा रहा है कि पार्टी ने यूपी चुनाव के नतीजों को देखकर भी रणनीति में बदलाव किया है, जहां अखिलेश यादव ने इस बार MY टैग से कुछ हद तक किनारा करते हुए सवर्णों और गैर यादव ओबीसी जातियों पर भी फोकस किया था। समाजवादी पार्टी भले ही सत्ता तक नहीं पहुंच पाई, लेकिन नई रणनीति के तहत वह सीटों और वोट फीसदी में काफी इजाफा करने में सफल रही।

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