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वाराणसी दक्षिण : धर्म-कर्म की धुरी पर घूम रही सियासत, भाजपा और सपा के बीच सीधी टक्कर, बसपा और कांग्रेस का प्रदर्शन तय करेगा परिणाम

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शहर दक्षिणी सीट पर इस बार गंगा के समानांतर ही राजनीति की धारा भी प्रवाहित हो रही है। 30 साल से कब्जे वाली इस सीट पर भाजपा के प्रत्याशी और धर्मार्थ कार्य मंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी के सामने सपा ने महामृत्युंजय मंदिर के महंत कामेश्वर नाथ दीक्षित उर्फ  किशन को उतारा है। तीन दशक से इस विधानसभा क्षेत्र में घूम रहे भाजपा के विजय रथ की रफ्तार थामने के लिए सपा ने इस बार मजबूत घेरेबंदी की है। बहरहाल, बसपा के दिनेश कसौधन गुप्ता और कांग्रेस की मुदिता कपूर के प्रदर्शन पर भी काफी हद तक परिणाम निर्भर करेगा।

इस सीट पर ब्राह्मण और वैश्य मतदाता निर्णायक की भूमिका में हैं। मुस्लिम और दलितों की अच्छी तादाद अलग समीकरणों की ओर भी इशारा करते हैं। भाजपा जहां काशी विश्वनाथ मंदिर के नव्य और भव्य स्वरूप के जरिये हिंदू मतों को एकजुट करने में जुटी है, तो सपा मुस्लिमों पर भरोसे के साथ हिंदू मतों में सेंधमारी के हर संभव प्रयास में लगी है। कांग्रेस भी मुस्लिम मतदाताओं को रिझाने के साथ पंजाबी, सिंधी और हिंदू मतों को अपनी ओर करना चाहती है। सर्वसमाज के नारे के साथ बसपा भी मैदान में है।

भाजपा ने 2017 में सात बार के दिग्गज श्यामदेव राय चौधरी का टिकट काट दिया था। डॉ. नीलकंठ तिवारी ने पिछले चुनाव में अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी पूर्व सांसद राजेश मिश्रा को 17 हजार से ज्यादा मतों से पराजित किया था। इस बार के बदले समीकरण में शहर दक्षिणी की लड़ाई रोचक बनी हुई है।

ब्राह्मण  60 हजार
मल्लाह 40 हजार
वैश्य 50 हजार
मुस्लिम 60 हजार
बंगाली  20 हजार

2017 का चुनाव परिणाम
डॉ. नीलकंठ तिवारी, भाजपा 92,560
राजेश मिश्रा, कांग्रेस 75,334
राकेश त्रिपाठी, बसपा   5922

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