Chandrashekhar: राजीव गांधी की जासूसी के लगे आरोप, जाने क्यों 3 महीने 24 दिन में ही गिर गई थी पीएम चंद्रशेखर की सरकार, कांग्रेस ने खींच लिया था समर्थन
देश के नौवे प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के काम में जब कांग्रेस ने हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया तो पीएम पद का लालच छोड़ उन्होंने तुरंत इस्तीफा दे दिया था. वह 10 नवंबर की ही तारीख थी जब चंद्रशेखर ने देश के नौवे प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली थी. वह तारीख थी 10 नवंबर 1991. 3 महीने 24 दिन बाद उन्होंने प्रधानमंत्री का पद छोड़ दिया था. चलिए आज 10 नवंबर की तारीख पर हम आपको चंद्रशेखर के प्रधानमंत्री बनने और फिर राजीव गांधी पर गुस्सा जाहिर करते हुए पीएम पद छोड़ने की कहानी बताते हैं.
कांग्रेस के समर्थन से बने थे प्रधानमंत्री
उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के इब्राहिमपट्टी गांव के किसान परिवार में जन्मे चंद्रशेखर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान समाजवादी आंदोलन से जुड़े थे. चंद्रशेखर के प्रधानमंत्री बनने की कहानी शुरू होती है 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या के बाद से. तब चुनाव में कांग्रेस ने राजीव गांधी के नेतृत्व में भारी बहुमत के साथ 400 से अधिक सीटें जीतीं, लेकिन 1989 के चुनाव में ही कांग्रेस सत्ता से दूर हो गई. बोफोर्स तोप की खरीद में घोटाले को लेकर सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई थी. चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी थी बावजूद इसके बहुमत नहीं थी. तब जनता दल के विश्वनाथ प्रताप सिंह प्रधानमंत्री बने. उन्हें बीजेपी और वाम दलों का समर्थन था.
राम जन्मभूमि आंदोलन ने बदला सियासी रुख
वी पा सिंह के प्रधानमंत्री बनने के एक साल भी नहीं बीता था कि राम राम मंदिर निर्माण के लिए रथयात्रा निकाल रहे लालकृष्ण आडवाणी को बिहार में जनता दल के मुख्यमंत्री लालू यादव ने गिरफ्तार करवा दिया. इसके बाद बीजेपी ने वीपी सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया जिसकी वजह से सरकार गिर गई.
64 सांसदों के साथ अलग हुए थे चंद्रशेखर
चंद्रशेखर भी जनता दल में ही थे. जैसे ही बीपी सिंह की सरकार अल्पमत में आने के बाद गिरी, चंद्रशेखर 64 सांसदों के साथ जनता दल से अलग हो गए. उन्होंने समाजवादी जनता पार्टी बनाई. कांग्रेस की धूर विरोधी होने के बावजूद कांग्रेस के ही समर्थन से केंद्र में चंद्रशेखर की सरकार बनी. 10 नवंबर 1991 को चंद्रशेखर ने देश के नौवें प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली.
4 महीने के अंदर ही कांग्रेस ने वापस ले लिया था समर्थन
चंद्रशेखर के सरकार के महज 3 महीने 24 दिन बीते थे कि कांग्रेस ने चंद्रशेखर सरकार से समर्थन वापस ले लिया. आरोप लग रहे थे कि चंद्रशेखर की सरकार कांग्रेस के नेता राजीव गांधी की जासूसी करवा रही है. कांग्रेस का समर्थन वापस खींच लेने के बाद अल्पमत में सरकार आ गई थी जिसके बाद चंद्रशेखर को 6 मार्च 1991 को इस्तीफा देना पड़ा. इसके बाद नए सिरे से आम चुनाव हुए. जून 1991 में एक बार फिर कांग्रेस सत्ता में आई. तब पीवी नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बने. राव के शपथ ग्रहण के पहले 21 जून 1991 तक चंद्रशेखर कार्यवाहक पीएम के रूप में काम करते रहे.
राजीव गांधी पर चंद्रशेखर ने कहा था – मैं अपना फैसला एक दिन में तीन बार नहीं बदलता
चंद्रशेखर के इस्तीफा देने के संबंध में शरद पवार अपनी आत्मकथा On My Terms: From the Grassroots to the Corridors of Power में इसका जिक्र किया है.
उन्होंने लिखा है, ”राजीव गांधी ने मुझे दिल्ली बुला कर कहा कि क्या मैं चंद्रशेखर को इस्तीफ़ा वापस लेने के लिए मना सकता हूं? मैं चंद्रशेखर के पास गया और इस्तीफा वापस लेने के लिए कहा. चंद्रशेखर ने तब गुस्से में कहा, ”आप प्रधानमंत्री के पद का कैसे इस तरह उपहास कर सकते हैं?” उन्होंने ये भी कहा, ”जाओ और उनसे कह दो, चंद्रशेखर एक दिन में तीन बार अपने विचार नहीं बदलता.”