1 सितंबर से घोषित हो सकती है अनावृष्टि, उत्तर गुजरात, सौराष्ट्र, कच्छ और मध्य गुजरात में पानी की समस्या गंभीर

गुजरात की रुपाणी सरकार के लिए नई मुसीबत सामने आई है। कोरोना महामारी की दूसरी लहर को खत्म करने के बाद अब तीसरी लहर की तैयारी चल रही है। वहीं दूसरी ओर इस साल मानसून भी निष्फल होने के कारण नदी, नाले और डैम में पानी की कमी महसूस की जा रही है। जिसके कारण खेती के लिए पानी बंद कर सिर्फ पीने के लिए पानी उपलब्ध कराने के लिए सरकार द्वारा निर्णय लिया गया है जिससे किसानों की हालत कमजोर हो गई है।
राज्य के विभिन्न जिलों से पानी की मांग सामने आ रही है। राज्य में मानसून में बारिश 45 प्रतिशत कम होने के कारण उत्तर गुजरात, सौराष्ट्र कच्छ और अहमदबाद में परिस्थिति गंभीर बन रही है, जिसके कारण सचिवालय में भी विधायक और सांसद अपने-अपने विस्तारों के लिए पानी की मांग कर रहे है।
गुजरात में बारिश नहीं होने के कारण सूखे की स्थिति उत्पन्न हो गई है। इससे किसानों की भी परेशानियां बढ़ गई है। सरकार ने किसानाें के लिए सिंचाई हेतु पानी उपलब्ध करने की तैयारी शुरू कर दी है। वहीं दूसरी ओर बारिश नहीं होने पर अहमदाबाद सहित शहराें में गर्मी का प्रमाण भी बढ़ गया है। वहीं बंगाल की खाड़ी में उपजे एक सिस्टम सक्रिय हो रहा है। इसके साथ ही अगस्त के अंत में महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और अंत में गुजरात में बारिश होने की संभावनाएं जताई जा रही है।
स्काईमेट द्वारा गुजरात में सितंबर के पहले सप्ताह में भी बारिश होने की संभावना जताई जा रही है। अगस्त के अंत से लेकर सितंबर के पहले सप्ताह तक राज्य के अधिकांश शहरों में मध्यम बरसात हो सकती है। इस साल अभी तक राज्य में लगभग 55 प्रतिशत बारिश हुई है, जिसके चलते खेती और पीने के पानी के लिए परेशानी उत्पन्न हुई है।
अभी तक राज्य में लगभग 55 फीसदी बारिश
इस साल अभी तक राज्य में लगभग 55 प्रतिशत बरसात हुई है। जिसके कारण खेती और पीने के पानी के लिए सचिवालय में भाजपा के चुने हुए सदस्य और भाजपा के संगठन के प्रतिनिधियों द्वारा पानी की मांग की जा रही है। राज्य में कहीं सिंचाई तो कहीं पीने के लिए पानी की कमी स्पष्ट है। बारिश नहीं होने के कारण किसानों की फसल भी सूख रही है। राज्य के जलाशय में भी पानी का आवश्यक जत्था पूरा नहीं हो सका है।