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मॉडलिंग इंडस्ट्री ने सोनगढ़, व्यारा जैसे क्षेत्रों के गरीब परिवारों की 500 लड़कियों को बनाया मॉडल, तो 2000 करोड़ होता टर्नओ‌‌वर

डायमंड और टेक्सटाइल के बाद अब सूरत माॅडलिंग का भी हब बन रहा है। कोरोना से पहले मॉडलिंग इंडस्ट्री ने 25 से 30% की ग्रोथ की थी। फिलहाल अभी 1500 करोड़ रुपए का टर्नओवर है। अगर कोरोना नहीं आता तो यह 2000 करोड़ के पार होता। डेढ साल में 30% कारोबार प्रभावित हुआ है।

मॉडलिंग इंडस्ट्री में 20 हजार लोगों को रोजगार मिल रहा है। सोनगढ, व्यारा जैसे ग्रामीण क्षेत्रों की गरीब परिवारों की लड़कियों को भी माॅडलिंग करने का माैका मिल रहा है। अभी हाल ही में ग्रामीण क्षेत्रों की 500 लड़कियां इस मॉडलिंग इंडस्ट्री से जुड़ी हैं। शहर में इससे जुड़े 250 फोटो स्टूडियो और 70 फोटो प्रिंटिंग लेबोरेटरी हैं।

महिलाओं के लिए सुरक्षित माहाैल
मॉडल शना शुक्ला ने बताया कि पहले वह कम्प्यूटर टीचर थीं, उन्हें किसी ने सूरत में साड़ी के लिए मॉडलिंग के काम के बारे में बताया। पहले वह इसे पसंद नहीं कर रही थीं। घर वाले भी कतरा रहे थे। बाद में धीरे-धीरे यह काम शुरू किया तो यहां का माहौल देखकर डर निकल गया। शुक्ला ने कहा कि महिलाओं के लिए यहां कोई चिंता की बात नहीं है। कई लड़कियां इस व्यवसाय से जुड़ी हैं।

प्रतिमाह 5000 से अधिक कैटलाॅग बनते हैं
मॉडलिंग कैटलॉग तैयार करने वाले कारोबारी रजत केडिया ने बताया कि कपड़ा व्यापार बढ़ाने के लिए अब कैटलाॅग जरूरी है। सूरत में भी व्यापारी इस बात को समझते हैं। प्रति कैटलाॅग 60000 रुपए खर्च होते हैं। सूरत में भी बड़े पैमाने पर व्यापारी कैटलाॅग बनवाते हैं। शहर में प्रतिमाह 5000 से अधिक कैटलाॅग बनते हैं। कपड़ा व्यापारी सुशील गाडोदिया ने बताया कि एक्ट्रेस को देखकर ही महिलाएं फैशन करती हैं। यहां विदेशों से भी मॉडल शूट करने आती हैं।

पहले पकड़ती थीं मॉडल का पल्लू, अब मॉडलिंग से कमा रही हैं 20 गुना ज्यादा
सोनगढ़ की रहने वाली मनीषा दूबे ने बताया कि परिवार की आर्थिक हालत अच्छी नहीं होने से वह नौकरी करती हैं। सोनगढ़ में नौकरी के अवसर कम होने से वह सूरत में नौकरी के लिए आती थी। यहां वह मॉडलिंग के दौरान मॉडल की साड़ी का पल्लू पकड़ने और साड़ी ठीक करने का काम करती थी, तब उन्हे प्रतिमाह 3000 रुपए तक का वेतन मिल जाता था। मनीषा के परिवार में माता-पिता, दादा, दादी दो बहनें और एक भाई है। दो बहनों की शादी हो गई है। मनीषा के माता-पिता गांव में रहते हैं। भाई पढ़ाई कर रहा है और छोटे-मोटे काम करता है। अब वह खुद ही मॉडलिंग से 20 गुना ज्यादा पैसे कमा रही हैं।

सूरत में 80% व्यापारी ऐसे हैं जो बड़े व्यापारियों की तरह एक कैटलॉग के पीछे 50000 रुपए नहीं खर्च कर सकते। ऐसे में वे सूरत की स्थानीय लड़कियों से माॅडलिंग करवाते हैं। ये लड़कियां एक कपड़े के शूट के लिए 50 रुपए में भी काम कर लेती हैं। यदि चेहरे के साथ किसी मॉडल का फोटो लिया जाए तो उसे 300 से 500 रुपए प्रति गारमेंट तक दिया जाता है।

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