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मिजोरम में गोला-बारूद की बड़ी खेप बरामद, करीब 4000 डेटोनेटर और 1.30 टन बारूद म्यांमार भेजने की थी तैयारी

म्यांमार से सटे उत्तर-पूर्व राज्य, मिजोरम में पैरा-मिलिट्री फोर्स, असम राईफल्स ने गोला-बारूद की एक बड़ी खेप पकड़ने का दावा किया है. करीब 4000 डेटोनेटर और 1.30 टन बारूद को मिजोरम से म्यांमार भेजने की तैयारी थी, उसी वक्त मिजोरम के सिरचैप इलाके में ये खेप पकड़ी गई. असम राईफल्स ने इस मामले में दो आरोपियों को पकड़ने का भी दावा किया है. पिछले कुछ सालों में मिजोरम में पकड़ी गई एक्सप्लोज़िव की ये सबसे बड़ी कंसाइनमेंट है.

असम राईफल्स के मुताबिक इस खेप में 6 कार्टून्स में करीब 3000 स्पेशल डेनोटेनर्स और 4 डिब्बों में 925 इलेक्ट्रिक डेटोनेटर्स थे. इसके अलावा 63 बोरियों में करीब 1.30 टन बारूद था. ये क्लास-टू कैट-जेडजेड एक्सपलोसिव है जो डिब्बों में भरकर बोरियों में रखा गया था.

सूत्रों ने एबीपी न्यूज को बताया कि गोला-बारूद की इस खेप को म्यांमार भेजने की तैयारी थी. इस खेप को म्यांमार के उग्रवादी संगठन, सीएऩए यानि चिन नेशनल आर्मी को भेजा जा रहा था. प्रतिबंधित संगठन, सीएनए म्यांमार की मिलिट्री हुकूमत के खिलाफ इस गोला-बारूद को आईईडी के तौर पर इस्तेमाल करने की साजिश रच रहा था.

मामले की जांच के लिए असम राईफल्स ने पकड़े गए आरोपियों और गोला-बारूद की खेप को मिजोरम पुलिस के हवाले कर दिया है. पुलिस अब ये पता करने की कोशिश करेगी कि आखिर डेटोनेटर्स और गोला-बारूद की ये खेप आखिर कहां से आ रही थी और भारत में सीएनए संगठन का क्या नेटवर्क है.

आपको बता दें कि भारत और म्यांमार के बीच सीमावर्ती इलाके को लेकर एक संधि है जिसके तहत दोनों देशों का आठ-आठ किलोमीटर (यानि कुल 16 किलोमीटर) का इलाका फ्री बॉर्डर रेजीम घोषित किया हुआ है. इसके मायने ये है कि दोनों देशों के सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले नागरिक एक दूसरे के आठ किलोमीटर के दायरे में बिना किसी पासपोर्ट और वीजा के आ जा सकते हैं. इसी का फायदा स्मगलर्स और अवांछित तत्व उठाने की कोशिश करते हैं. लेकिन. म्यांमार सीमा की सुरक्षा में तैनात, असम राईफल्स का साफ तौर से कहना है कि भारत-म्यांमार बॉर्डर पर किसी भी तरह के गैर-कानूनी काम को इजाजत नहीं दी जाएगी.

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