Gunners Day: LAC पर तैनात होगा अटैग्स, 2 महीने में तोपखाने में शामिल, जानें कैसे चीन के मुकाबले भारत की बढ़ेगी ताकत

भारतीय सेना (Indian Army) के 196वें गनर्स-डे (Gunners Day) पर एक स्वदेशी तोपखाने के लिए एक खास खबर सामने आई है. खबर ये है कि स्वदेशी तोप, ‘अटैग्स’ ने फायर पावर टेस्ट पूरे कर लिए हैं और अगले दो महीने में भारतीय सेना के तोपखाने में शामिल हो सकती है.
जानकारी के मुताबिक, अटैग्स यानि एडवांस टोड आर्टिलरी गन सिस्टम ( एटीएजीएस या अटैग सिस्टम) के इन दिनों ‘पर्यावरण-परीक्षण’ चल रहे हैं जो अगले दो महीने में पूरी हो जाएंगे. अटैग्स के फायर-पावर टेस्ट पहले ही पूरे हो चुके हैं क्योंकि भारतीय सेना इन दिनों चीन से सटी एलएसी पर अपने तोपखाने को मजबूत करने में जुटी है. ऐसे में अटैग्स को भी एलएसी पर तैनात किया जाएगा. इस साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले पर तोपों की सलामी में पहली बार अटैग्स गन को भी शामिल किया गया था. आजादी के बाद यानि 75 साल में ये पहली बार हुआ था कि किसी स्वदेशी तोप से लाल किले पर सलामी दी गई थी.
आज 196वां गनर्स-डे
भारतीय सेना आज 28 सितंबर को अपना 196वां गनर्स-डे यानी तोपखाना दिवस मना रही है. रक्षा-तंत्र के सूत्रों ने इस मौके पर एबीपी न्यूज़ से ये अहम जानकारी साझा करते हुए बताया कि चीन से एलएसी पर भारतीय सेना अपना आर्टिलरी यानी तोपखाने को मजबूत करने में जुटी है. इसलिए दक्षिण कोरिया की के-9 वज्र तोप से लेकर स्वदेशी धनुष और अमेरिकी अल्ट्रा लाइट होवित्जर, एम-777 और पिनाका रॉकेट सिस्टम की अतिरिक्त तैनाती की जा रही है. अटैग्स को सभी टेस्ट पूरे होने के बाद चीन और पाकिस्तान सीमा पर तैनात किया जाएगा.
आर्टिलरी में तोप से लेकर रॉकेट और ये शामिल…
सेना में तोप को चलाने वाले सैनिक को गनर यानी तोपची बोला जाता है. भारतीय सेना की आर्टिलरी में तोप से लेकर रॉकेट और ब्रह्मोस मिसाइल और ड्रोन तक शामिल हैं. ब्रह्मोस मिसाइल क्योंकि तोपखाने का हिस्सा है इसीलिए भारतीय सेना की आर्टिलरी खुद को ‘300 किलोमीटर रेंज वाली स्नाइपर’ कहलाना भी पसंद करती है.
गनर्स-डे के मौके पर भारतीय सेना ने एक खास वीडियो भी जारी किया है जिसमें आर्टिलरी को ‘गॉड ऑफ वॉर’ का नाम दिया गया है. सरकारी रक्षा उपक्रम, डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन यानी डीआरडीओ ने टाटा और भारत-फोर्ज कंपनियों के साथ मिलकर तैयार किया है. 155×52 कैलिबर की इस एटीएजीएस तोप की रेंज करीब 48 किलोमीटर है. साल 2018 में रक्षा मंत्रालय ने थलसेना के लिए 150 अटैग गन खरीदने की मंजूरी दी थी.